साहित्य - संस्कृति

मलयालम कवि एम. पी. प्रथीश को दिया गया 2023 का ‘ केदारनाथ सिंह स्मृति सम्मान ‘

कालडी (एर्नाकुलम)/वाराणसी। साखी पत्रिका की ओर से भारतीय भाषाओं के कवि को दिया जाने वाला केदारनाथ सिंह सम्मान मलयालम के कवि एम पी प्रथीश को श्री शंकराचार्य संस्कृत विश्वविद्यालय के परिसर में आयोजित एक सादगी भरे समारोह में दिया गया।

साखी के सम्पादक श्री सदानंद शाही ने बताया कि भारतीय भाषाओं में यह सम्मान गत वर्ष मलयाली कवि प्रथीश को उनके संग्रह ‘पीरवेल्लम’ (2020) के लिए दिये जाने की घोषणा हुई थी पर पिछले साल कवि के सम्मान समारोह में नहीं पहुंच पाने की वजह से सम्मान राशि नहीं दी जा सकी थी। साखी परिवार ने निश्चय किया किया कि कवि के घर जाकर केरल में सम्मान प्रदान किया जायेगा।आज यह संकल्प पूरा हुआ।

इस मौके पर  श्री शंकराचार्य संस्कृत विश्वविद्यालय कालडी के  हिन्दी विभाग की अध्यक्षा प्रो श्री लता के सम्मिलित प्रयास से आयोजित समारोह में अतिथियों का स्वागत करते हुए कहा कि प्रेमचंद साहित्य संस्थान और साखी ने कहा कि हमारे विश्वविद्यालय में यह आयोजन करके हमारा मान बढ़ाया है। इससे हमें केरल में हिंदी पठन पाठन को लोकप्रिय बनाने में सहूलियत होगी।

सम्मान का परिचय देते हुए प्रो सदानंद शाही ने कहा कि पांच सदस्यीय चयन समिति गठित की गयी थी जिसमें श्री ए अरविंदाक्षन, (संयोजक)श्री चन्द्रकांत पाटिल, श्री राजेश जोशी, श्री अरुण कमल तथा सुश्री अनामिका सदस्य थे। मलयाली के प्रतिनिधि के तौर पर श्री के. सच्चिदानंदन विशेष सदस्य के रूप में शामिल हुए और निर्णायक मंडल ने सर्व सम्मति से यह निर्णय लिया। समिति का अनुमोदन इस प्रकार है-“प्रथीश एक प्रयोगधर्मी कवि हैं, जो अपनी कविता के लिए शब्दों के साथ-साथ रेखाचित्रों और वस्तुओं का भी प्रयोग करते हैं। उनका मुख्य विषय प्रकृति और मनुष्य के बीच संबंध है। वह ग्रह के भविष्य के बारे में गहराई से चिंतित है। वह भाषा का प्रयोग बहुत ही सूक्ष्मता और सूक्ष्मता से करते हैं और उनकी कविता में कोई अतिरेक नहीं है। वह पृथ्वी, आकाश, जल, पेड़, पौधों और छोटे जानवरों की छवियों के साथ काम करते है। वह आसानी से केरल के सबसे होनहार कवियों में से एक हैं और प्रोत्साहन के पात्र हैं। उनकी एक अनूठी काव्यात्मक आवाज है, जो उनकी पीढ़ी और पुरानी पीढ़ी के अन्य लोगों से बहुत अलग है। वे एक कवि के रूप में बहुत सक्रिय हैं।”

प्रो शाही के वक्तव्य के बाद मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित मलयाली के साहित्य चिंतक और विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो एम वी नारायणन ने एम पी प्रथीश को स्मृति चिन्ह , प्रशस्ति-पत्र और उत्तरीय देकर सम्मानित किया।इस अवसर पर साखी की ओर से कवि को 25000 रुपये की राशि का चेक भी दिया गया। प्रो नारायणन ने इस बात पर खुशी जाहिर की कि केदारनाथ सिंह सम्मान भारतीय भाषाओं की नयी रचनाशीलता को प्रोत्साहित करने के लिए संकल्पित है। उन्होंने कहा कि केदारनाथ सिंह को पहला सम्मान केरल से मिला था आज उनके नाम का सम्मान मलयालम के कवि को मिल रहा है यह एक तरह से काव्य न्याय है। उन्होंने यह भी कहा कि कविता एक तरह से न्याय बुद्धि का सृजन करती है।

विशिष्ट अतिथि के रूप में मौजूद मलयाली के महत्वपूर्ण आलोचक प्रो सुनील इलइडम ने कहा कि कविता भाषा के माध्यम से सरलीकरणों को तोड़ती है और निजी मानवीय अनुभवों को सुरक्षित करती है। प्रतिशत की कविता में यह गुण मौजूद हैं।

अंत में सम्मान के संयोजक प्रो सदानंद शाही ने सबको धन्यवाद देते हुए कहा कि कविता समाज को मानवीय बनाने की दिशा में निरंतर सक्रिय रहती है। इसलिए हर जागरूक समाजको कविता की आवाज सुननी चाहिए। बनारस से हजारों किलोमीटर दूर इस कार्यक्रम को आयोजित करने में श्री शंकराचार्य संस्कृत विश्वविद्यालय के हिन्दी विभाग की अध्यक्षा , शोध छात्र और छात्र छात्राओं ने विशेष भूमिका निभाई।

एम. पी. प्रथीश (जन्म 1987) एक कवि और कलाकार हैं जो केरल में रहते और काम करते हैं। उन्होंने मलयालम भाषा में कविता के दस संग्रह प्रकाशित किए हैं। उनकी कविताएँ और वस्तु / दृश्य कविताएँ विभिन्न स्थानों पर प्रकाशित हैं जिनमें सिंगिंग इन द डार्क (पेंगुइन), ग्रीनिंग द अर्थ (पेंगुइन से आगामी, 2023) आरएलसी जर्नल, टिनी सीड, इंडियानापोलिस रिव्यू, काव्याभारती, नेशनलपोएट्रीमंथ.सीए (एंजेलहाउस प्रेस), बॉम्बे रिव्यू, केरलकविथा, गुफ्तुगु, एक्रोपोलिस, ट्रू कॉपी, भारतीय साहित्य और अन्य शामिल हैं। ट्रांसफिगरिंग प्लेसेस, दृश्य कविताओं का एक संग्रह, पेपरव्यू बुक्स, पुर्तगाल द्वारा प्रकाशित किया गया है।
उनकी कविताओं की हालिया किताब, द बरिअल, ऑस्मोसिस प्रेस, यूके से आने वाली है। मलयालम में हाल के प्रकाशनों में शामिल हैं: रात्रीयात्रा /രാത്രിയാത്ര (दिसंबर, 2021), पिरावेलम/പിറവെള്ളം (अक्टूबर, 2020)

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