जनपदीय संस्कृति एक जीवित , जागृत एवं जन हितैषी पर्यावरणीय संस्कृति है – प्रो अवधेश प्रधान
पडरौना। उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान लखनऊ और प्रेमचंद साहित्य संस्थान के संयुक्त का तत्वावधान में आयोजित तीन दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी के दूसरे दिन सात अक्टूबर...