साहित्य - संस्कृति

आसिफ़ आज़मी की पुस्तक “ माटी के महायोद्धा ” में दर्ज है पूर्वांचल का गौरवशाली इतिहास

गोरखपुर। पूर्वांचल के 32 जनपदों के 192 स्वतंत्रता सेनानियों पर केंद्रित आसिफ़ आज़मी की पुस्तक “माटी के महायोद्धा” पर परिचर्चा का आयोजन दो जुलाई को होटल प्रगति इन में किया गया।

कार्यक्रम का आयोजन कुटुम्ब ग्लोबल और यासमीन शरीफ वेलफेयर सोसायटी ने संयुक्त रूप से किया था।

इस मौके पर मुख्य अतिथि गोरखपुर एम्स के अध्यक्ष एवं पूर्व आईएएस देश दीपक वर्मा ने कहा कि आजादी के अमृत महोत्सव ने देश में एक नया रंग भर दिया है। इस अवसर पर अपने गौरवशाली इतिहास और स्वतंत्रता सेनानियों के योगदान को संजोने से बढ़िया कोई कार्य नहीं हो सकता।

उन्होंने कहा कि आसिफ़ आज़मी की पुस्तक “माटी के महायोद्धा” बेहद अधिक प्रासंगिक पुस्तक है। मैं हैरान हूँ कि इतनी बढ़ी संख्या में पूर्वांचल के सेनानीयों का विवरण जो हमारी आँखों से ओझल था, श्री आज़मी ने अपने कठिन परिश्रम एवं गहन शोध से देश के सामने लाने का कार्य किया है, जिसके लिए आसिफ़ आज़मी बधाई एवं प्रशंसा के पात्र हैं।

कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे वरिष्ठ हिन्दी साहित्यकार, पद्मश्री प्रोफेसर विश्वनाथ प्रसाद तिवारी ने कहा कि आसिफ़ आज़मी की ये पुस्तक न केवल स्वतंत्रता संग्राम में पूर्वांचल की सक्रिय एवं प्रभावी भूमिका को रेखांकित करती है बल्कि बहुत सारे ऐसे सेनानियों का प्रामाणिक विवरण भी उपलब्ध कराती है जो इतिहास की मुख्यधारा से कट गए हैं। नये शोधार्थियों को इससे मदद मिलेगी। पुस्तक की भाषा सरल और सहज है और इस प्रकार से इसकी पहुँच हिन्दी के साधारण पाठक तक आसानी से हो रही है।

प्रोफेसर चितरंजन मिश्र ने कहा कि आज़ादी के अमृत महोत्सव में स्वतंत्रता संग्राम से जुड़े इतिहास पर खूब काम हुआ है, किन्तु “माटी के महायोद्धा” पुस्तक का अनूठापन ये है कि इसमें 192 स्वतंत्रता सेनानियों का व्यक्तिगत विवरण पेश किया गया है। इतनी बड़ी संख्या में ऐसा काम न के बराबर है। इतिहास के विद्यार्थियों को ये पुस्तक अवश्य पढ़नी चाहिए।

 उर्दू अकादमी के अध्यक्ष चौधरी कैफुलवरा ने कहा कि आसिफ़ आज़मी की किताब पूर्वांचल के लोगों के लिए एक बड़े उपहार से कम नहीं है।

पुस्तक के लेखक आसिफ़ आज़मी ने कहा कि यह इतिहास की पुस्तक ज़रूर है, मगर इसका उद्देश्य भविष्य का मार्ग प्रशस्त करना है। यह पुस्तक दो वर्ष के गहन शोध का परिणाम है और इसकी असल प्रशंसा तब होगी है जब यह पुस्तक सजाने और गर्व करने से अधिक नई पीढ़ी को अपने पूर्वजों के बलिदान से अवगत होने तथा अपना तन-मन राष्ट्र को समर्पित करने की प्रेरणा पाने का माध्यम बनेगी।

अतिथियों का स्वागत गोरखपुर लिटरेरी फेस्टिवल के अध्यक्ष डॉ. हर्ष वर्द्धन राय ने किया। कवि कलीम क़ैसर ने संचालन किया।

कार्यक्रम में डॉ. अजीज अहमद, प्रवीन श्रीवास्तव, चारु शीला सिंह, कामिल खान, उमैर अहमद, अनुपम श्रीवास्तव, एहसानुल्लाह मारुफी, अनुपम सहाय, श्रीनारायन पांडे, तृप्ति लाल, कनक हरि अग्रवाल, डॉ. पुनीत त्रिपाठी, नुसरत अतीक, मो. रहीम, अखलाक अहमद, हाफिज अयाज, खुर्शीद आलम, डॉ. दरख्शा ताजवर, अमरनाथ जायसवाल, डॉ. अशफाक अहमद उमर, मो. आतिफ आजमी, काशिफ अली आदि लोग उपस्थित रहे।

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