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नए भारत की सचाई गरीबी, बेरोजगारी, महंगाई और बढ़ती असमानता है-परकाला प्रभाकर

स्वतंत्रता संग्राम सेनानी नागेन्द्र नाथ सिंह की 11वें स्मृति दिवस पर ‘ डिकोडिंग न्यू इंडिया ’ पर व्याख्यान

गोरखपुर। चर्चित अर्थशास्त्री एवं राजनीतिक विश्लेषक परकाला प्रभाकर ने कहा कि महंगाई, बेरोजगारी बढ़ रही है। ग्रामीण अर्थव्यवस्था पूरी तरह से बैठ गयी है। विदेशी पूँजी आना बंद ही नहीं हुआ है बल्कि वापस भी जा रहा है। पिछले नौ वर्ष में देश का कर्ज 100 लाख करोड़ बढ़ गया। आज बहुत गंभीर स्थिति है। पूरा वातावरण बहुत विषाक्त बन गया है। इस स्थिति को समझने, स्वीकार करने और इसका समाधान ढूंढने के बजाय सरकार लोगों को बांटने और लड़ाने में लगी है। बताया जा रहा है कि देश के खास धर्म के लोग ही सभी समस्याओं की जड़ हैं। जिन लोगों का देश की आजादी की लड़ाई में कोई योगदान नहीं था वे आज हमें देशभक्ति का पाठ पढा रहे हैं। यही आज का नया भारत है जिसकी सचाई को हमें साहस के साथ बोलना होगा।

श्री प्रभाकर आज दोपहर गोरखपुर क्लब परिसर में स्वतंत्रता संग्राम सेनानी एवं विधान परिषद के सदस्य रहे नागेन्द्र नाथ सिंह के 11वें स्मृति दिवस पर आयोजित समारोह में ‘ डिकोडिंग न्यू इंडिया ‘ विषय पर व्याख्यान दे रहे थे। यह आयोजन एक दशक से हर वर्ष 25 अगस्त को किया जाता है।

परकाला प्रभाकर की कुछ महीने पहले प्रकाशित हुई किताब ‘ द क्रूक्ड टिम्बर आफ न्यू इंडिया: एसेज ऑन ए रिपब्लिक इन क्राइसिस ’ की काफी चर्चा है।

उन्होंने नए भारत में बेरोजगारी, महंगाई, बढ़ती असमानता, लोगों की घटती आय, विदेशी निवेश के आंकड़ों का विस्तार से जिक्र करते कहा कि आज देश में युवा बेरोजगारी 23 प्रतिशत है। पूरी दुनिया में सिर्फ चार देशों- लीबिया, लेबनान , सीरिया और ईरान में ही इससे अधिक बेरोजगारी है। पड़ोसी देश बांग्लादेश में इससे आधी यानि 12 फीसदी युवा बेरोजगारी है। श्रम बल भागीदारी दर भारत के इतिहास में इतना कम कभी नहीं था। महिलाओं की श्रमबल में भागीदारी तो और भी कम है। महंगाई के आँकड़े बताने की जरूरत नहीं है। यह हर व्यक्ति अनुभव कर रहा है। सरकार कह रही है कि हम इतने लोगों को अनाज दे रहे हैं। मनरेगा में काम दे रहे हैं। मनरेगा में मिनिमम वेज दिया जाता है। इतनी कम मजदूरी पर लोग काम करने के लिए इसलिए मजबूर हैं क्योंकि उनके सामने कोई और विकल्प नहीं है।

उन्होंने एक कहानी का जिक्र करते हुए कहा कि अच्छा शासन वह है जिसमें लोगों को काम मिलता है और वे अपनी आय से अपनी जरूरतों को पूरा कर लेते हैं। अच्छा शासन वह नहीं है जो लोगों को अनाज, कपड़ा देने का बखान करता है। यह नया भारत है जिसमें लोगों को फ्री में अनाज देने का ढोल पीटा जा रहा है जबकि लोग काम मांग रहे हैं।

उन्होंने कहा कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था पूरी तरह से बैठ गयी है। नोटबंदी के बाद से असंगठित क्षेत्र अब तक खड़ा नहीं हो पाया है। ऐसी नोटबंदी का क्या फायदा कि 98.3 फीसदी नोट वापस आ गये। पूरे विश्व में काले धन को बाहन लाने के लिए नोटबंदी का प्रयोग नहीं हुआ। यह न्यू इंडिया ही है जिसमें यह प्रयोग हुआ।

उन्होंने देश में अमीरी और गरीबी की बढ़ती खाई का जिक्र करते हुए कहा कि आज देश में 145 अरबपति हैं। वर्ष 2014 के पहले अरबपतियों की संख्या 120 थी। इस पर किसी को गर्व हो सकता है लेकिन मुझे नहीं है क्योंकि मुझे पता है और दिख रहा है कि देश के 84 फीसदी लोगों की आय घट गई है। कहा गया था कि कृषकों की आय दो गुनी हो जाएगी लेकिन आज तक ऐसा नहीं हुआ। इसी दौरान तीन करोड़ ग्रामीण परिवार शहरों में जाकर दिहाड़ी मजदूर बनने को विवश हुए।

श्री प्रभाकर ने कहा कि देश के उद्योगपतियों में सच बोलने का साहस नहीं हैं। वे कहते हैं कि भारत की अर्थव्यवस्था बहुत अच्छी है। मेरा सवाल है कि यदि अर्थव्यवस्था बहुत अच्छी है तो निजी निवेश कम क्यो हो रहा है ? वर्ष 2003 से 2014 तक निजी निवेश हर साल 30 फीसदी था जो अब गिरकर 19 फीसदी रह गया है। आखिर उद्योगपति नया भारत में निवेश क्यों नहीं कर रहे है ? सरकार ने संसद को बताया कि जुलाई 2023 तक 80 हजार लोग देश की नागरिकता छोड़ कर दूसरे देशों में चले गए। वर्ष 2014 के बाद से औसतन हर वर्ष डेढ लाख लोग देश की नागरिकता छोड़ रहे हैं। विदेशी पूँजी आना बंद ही नहीं हुआ है बल्कि वापस भी जा रहा है। भारत के ऊपर 155 लाख करोड़ का कर्ज है। वर्ष 2014 के पहले 55 लाख करोड़ का कर्ज था। सिर्फ नौ वर्ष में 100 लाख करोड़ का कर्ज बढ़ गया।

हमसे कहा जाता है कि आप क्यों आलोचना कर रहे हैं ? क्या आपको कुछ भी अच्छा दिख नहीं रहा ? मेरा जवाब है कि मैं डायग्नोस्टिक सेंटर की तरह जहां समस्या है वह बता रहा हूं। मै तालियां बजाने वालों में शामिल नहीं हूँ। अर्थव्यवस्था में मुझे जो समस्या दिख रही है, उसे मैं स्पष्ट रूप से बोल रहा हूँ।

उन्होंने केन्द्र सरकार के आंकड़ो छिपाने में तीखा व्यंग्य करते हुए कहा कि आजादी के बाद से 2014 तक हमारे आंकड़ों की विश्वसनीयता थी। लेकिन आज कोविड में कितने लोगों की मौत हुई, स्पष्ट नहीं है। प्रधानमंत्री को यह तो याद है कि उन्हें 91 बार गालियां दी गई हैं लेकिन बेरोजगारी, महंगाई, प्रवासी मजदूरों की संख्या से लगायत कोई भी आंकड़ा वे बताने की स्थिति में नहीं हैं।

उन्होंने कहा कि प्रोपेगेंडा से हटकर हमें न्यू इंडिया को डिकोड करना होगा है। जो देश को प्रेम करते हैं वे साम्प्रदायिक आधार पर बातें नहीं बोल सकते। आजादी के बाद की सरकारें गराीबी, बेरोजगारी का पूरा समाधान ढूंढ नहीं पायी लेकिन उन्होेंने प्रयास तो किया। आज एक अलग ही धारा चल रही है जो धार्मिक आधार पर एक समुदाय के बायकाट का आह्वान कर रही है। दोनों धाराओं के बीच अंतर करना होगा और हमें साफ-साफ बोलना होगा।

अध्यक्षता कर रहे प्रो रामेश दीक्षित ने कहा कि नया भारत हिन्दुस्तान की आम जनता का भारत नहीं हैं इस नए भारत में जनता के सपनों के साथ धोखा किया जा रहा है। देश संविधान से चलेगा और हम संविधान को बदलने की किसी भी कोशिश को कामयाब नहीं होने देंगे। हम आजादी, बराबरी, भाईचारा और न्याय के लिए लड़ेंगे। आज चुनौती बड़ी है लेकिन इस चुनौती को स्वीकार कर संघर्ष को आगे बढ़ाना होगा।

धन्यवाद ज्ञापन करते हुए गोरखपुर विश्वविद्यालय के हिन्दी विभाग के पूर्व अध्यक्ष प्रो चितरंजन मिश्र ने कहा कि विकास का पूरा माडल बहुत बड़ा धोखा है। विकास के नाम पर किसानों की जमीन की लूट की जा रही है। विकास के नाम पर लोगों को अंधेरे में रखकर चंद लोगों को देश की सम्पत्ति बेची जा रही है। हमें इस माॅडल के खिलाफ सचेत रहना होगा। उन्होंने लोकतंत्र, संविधान, आजादी, बराबारी के लिए सभी लोगों से सक्रिय होने का आह्वान किया।

समारोह में विभिन्न क्षेत्रों में उल्लेखनीय कार्य के लिए डाॅ सुरहिता करीम (चिकित्सा) , वरिष्ठ अधिवक्ता इन्द्रभूषण श्रीवास्तव (वकालत ), कवि श्रीधर मिश्र (साहित्य) , रणजीत सिंह राज (पत्रकारिता) , तेज प्रताप सिंह (शिक्षा) , आदित्या यादव (खेल) , डाॅ मुमताज खान (रंगकर्म) , प्रवीण श्रीवास्तव (समाजसेवा) , अली हुसैन उर्फ मैना भाई (राजनीति), उमाशंकर मझवार (श्रम) को सम्मानित किया गया।

स्वागत वक्तव्य में नागेन्द्र नाथ सिंह स्मृति ट्रस्ट के अध्यक्ष राजेश सिंह ने कहा कि स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों ने त्याग और बलिदान ने हमें आजादी दिलायी। देश को लोकतंत्र और संविधान दिया। भाईचारा, न्याय ओर धर्मनिरपेक्षता का मूल्य दिया। आज इन सभी पर हमला हो रहा है। हमें बांटा और लड़ाया जा रहा है। हमें इसके खिलाफ जारी संघर्ष में शरीक होना होगा।

कार्यक्रम के प्रारम्भ में बुद्ध से कबीर तक बैंड ने कबीर के भजन प्रस्तुत किए।

इस मौके पर पूर्व सांसद अखिलेश सिंह, कमल किशोर, सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी एसपी सिंह, वरिष्ठ पत्रकार आनन्द वर्धन सिंह, डाॅ अजीज अहमद, लेखक रणविजय सिंह, पूर्व विधायक मोहसिन खान, नागेन्द्र नाथ सिंह स्मृति न्यास के संयोजक ई शम्स अनवर, सह संयोजक राममूर्ति, आयोजन सचिव अश्विनी पांडेय, फतेहबहादुर सिंह, श्यामजी त्रिपाठी, अबदुुल्लाह सिराज, एसपी त्रिपाठी, मान्धाता सिंह, सभासद अजय राय, विश्वजीत त्रिपाठी आदि उपस्थित थे।

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