Sunday, September 24, 2023
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ताला तोड़ इतिहास विभाग के अध्यक्ष का कमरा खाली कराया, दूसरे शिक्षक को दिया

गोरखपुर। विवादों से घिरे गोरखपुर विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो राजेश सिंह के आदेश पर प्राक्टर ने 17 अगस्त को इतिहास विभाग के अध्यक्ष प्रो चन्द्रभूषण गुप्ता के कमरे कक्ष का ताला तोड़ खाली करा लिया और उसे अर्थशास्त्र विभाग के एक शिक्षक को आवंटित कर दिया। प्रो चन्द्रभूषण गुप्त को कोई कक्ष आवंटित नहीं किया गया है। उन्होंने विश्वविद्यालय प्रशासन को दूसरा कमरा आवंटित करने के बाद ही उनके कमरे को खाली कराने को कहा लेकिन उनकी नहीं सुनी गई। प्रो गुप्त ने इस कार्यवाही को विद्वेषपूर्ण बताया है।

विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो चन्द्रभूषण गुप्ता से दो वर्ष पहले कार्यपरिषद की बैठक में हिन्दी विभाग के प्रोफेसर कमलेश गुप्त के निलम्बन पर सवाल उठाए जाने से नाराज थे। उन्होंने छह माह पहले ही प्रो चन्द्रभूषण के कमरे को दूसरे शिक्षक को आवंटित कर खाली करने की नोटिस दिया था। पूर्व प्राक्टर प्रो गोपाल प्रसाद पर कुलपति ने प्रो चन्द्रभूषण के कमरे को खाली कराने का जबर्दस्त दबाव बनाया था। इस दबाव से आजिज आकर प्रो गोपाल प्रसाद ने प्राक्टर पद से इस्तीफा दे दिया था।

प्रो चन्द्रभूषण को 14 अ्रगस्त को प्राक्टर ने पत्र देकर कमरे की चाभी 16 अगस्त को देने को कहा था। इस पत्र में कहा गया था कि कुलपति के निर्देशानुसार 25 फरवरी 2023 को कक्ष संख्या एटीएस 27 को अर्थशास्त्र विभाग के शिक्षक डाॅ राजू गुप्ता और डाॅ सुरेन्द्र गुप्ता को आवंटित कर दिया गया था लेकिन आपने अभी तक उसको हस्तान्तरित नहीं किया है। उक्त कक्ष की चाभी 16 अगस्त तक उपलब्ध कराएं नही ंतो विश्वविद्यालय प्रशासन नियमानुसार कार्यवाही करेगा।

प्रो चन्द्रभूषण ने प्राक्टर से कहा कि उन्हें दूसरा कक्ष आवंटित कर दिया जाए। पूर्व में उन्होंने इस सम्बन्ध में कई बार पत्र लिखा है लेकिन अभी तक उस पर कोई कार्यवाही नहीं की गई है। यही नहीं उनका कक्ष सीज भी कर दिया गया है। उन्होंने चाभी देने से मना कर दिया।

अपरान्ह चार बजे प्राक्टर विश्वविद्यालय कर्मचारियों के साथ इतिहास विभाग पहुंचे और प्रो चन्द्रभूषण के कमरे का ताला तोड़ उनका सामान बाहर रखवा दिया और कमरे की चाभी अर्थशास़्त्र के दोनों शिक्षकों को दे दी।

प्रो चन्द्रभूषण ने कहा कि उन्हें अपमानित करने के उद्देश्य से यह कार्यवाही की गई है क्योंकि उन्होंने प्रो कमलेश गुप्त के निलम्बन की कार्यवाही का विरोध करते हुए कार्यपरिषद में सवाल उठाया था। वे जून 2024 तक सेवा में हैं। कला संकाय भवन में कई कमरे खाली हैं। विश्वविद्यालय प्रशासन चाहता तो अर्थशास्त्र के शिक्षकों को दूसरा कक्ष दे सकता था या उनके लिए दूसरे कमरे की व्यवस्था कर सकता था लेकिन पिछले छह महीने से उन्हें परेशान करने का काम किया जा रहा था।

शिक्षकों के बीच भी विद्वेष का बीजारोपण कर रहे हैं कुलपति: प्रो कमलेश गुप्ता

हिन्दी विभाग के प्रोफेसर कमलेश गुप्ता ने फेसबुक पोस्ट लिखकर कहा है कि ‘ कुलपति प्रोफेसर राजेश सिंह विद्यार्थियों व शिक्षकों के बीच विद्वेष का बीज बोने के साथ-साथ शिक्षकों और शिक्षकों के बीच में भी विद्वेष के बीजारोपण का लगातार प्रयास कर रहे हैं। जिस कमरे को खाली करने के लिए कहा जा रहा है, उस कमरे में प्रोफेसर चंद्रभूषण अंकुर जी लगभग दो दशकों से रह रहे हैं। उन्होंने कमरा खाली करने से कभी मना नहीं किया है। विश्वविद्यालय प्रशासन से कई बार वे अपने लिए किसी वैकल्पिक कक्ष की व्यवस्था का आग्रह कर चुके हैं, जिसे पूरा किए बगैर जबरन उनसे वह कमरा लेने की कोशिश की जा रही है। प्रोफेसर अंकुर मुख-कैंसर से पीड़ित हैं और विश्वविद्यालय प्रशासन द्वारा किए जा रहे इस उत्पीड़न से अवसाद में हैं।
उन्होंने लिखा है कि कुलपति द्वारा उनका उत्पीड़न केवल इसलिए किया जा रहा है कि कार्य परिषद की बैठक दिनांक 27 सितम्बर 2021में उन्होंने मेरे विरुद्ध कुलपति अध्यक्षता में अनुशासनिक समिति गठित किए जाने के प्रस्ताव पर इस तर्क के साथ आपत्ति की थी कि मैंने उनके (कुलपति प्रोफेसर राजेश सिंह जी के) विरुद्ध शिकायतें की हैं और आरोप लगाए हैं, इसलिए उस बिंदु पर चर्चा के समय उन्हें सदन में नहीं रहना चाहिए और उनकी अध्यक्षता में मेरे विरुद्ध अनुशासनिक समिति गठित नहीं हो सकती। कार्य परिषद प्रोफेसर चन्द्रभूषण जी के तर्क से सहमत हो गई और वह प्रस्ताव पास नहीं हो पाया। विश्वविद्यालय प्रशासन कार्य परिषद की उस बैठक की ऑडियो-वीडियो रिकॉर्डिंग सार्वजनिक करे तो इसकी पुष्टि हो सकती है।

मेरे द्वारा जनसूचना अधिकार के तहत माॅंग करने के बावजूद मुझे वह ऑडियो-वीडियो रिकॉर्डिंग उपलब्ध नहीं कराई गई है। बाद में कार्य परिषद की उक्त बैठक दिनांक 27 सितम्बर 2021 के कार्यवृत्त में कूटरचना करते हुए कुलपति ने यह बिंदु डलवा दिया कि कार्य परिषद ने मेरे प्रकरण में जाॅंच समिति गठित करने के लिए कुलपति को अधिकृत किया। प्रोफेसर चन्द्रभूषण ने इस बिंदु पर भी लिखित रूप में आपत्ति प्रकट की थी। तब से कुलपति प्रोफेसर चंद्रभूषण अंकुर जी को तरह-तरह से अपमानित और प्रताड़ित कर रहे हैं।

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