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बाल विवाह मुक्त भारत का खाका पेश करने वाली पुस्तक ’ व्हेन चिल्ड्रेन हैव चिल्ड्रेन ’ का पडरौना में लोकार्पण 

 पडरौना (कुशीनगर)। अंतरराष्ट्रीय बालिका दिवस के अवसर पर पूरे देश में चल रहे’ बाल विवाह मुक्त भारत’ अभियान के तहत  गैर सरकारी संगठन सर्वहितकारी सेवाश्रम द्वारा पडरौना के एक होटल में आयोजित कार्यक्रम में भुवन ऋभु की किताब ‘ व्हेन चिल्ड्रेन हैव चिल्ड्रेन: टिपिंग प्वाइंट टूएंड चाइल्ड मैरेज ‘ का लोकार्पण हुआ।

इस किताब का लोकार्पण देवरिया कि बाल अधिकार समिति कि सदस्य सावित्री राय ने किया। इस मौके पर कमलावती देवी, सीमा देवी, रंजना गिरी, पूजा, सर्वहितकारी सेवाश्रम के अध्यक्ष विनोद तिवारी उपस्थित थे। इसके पहले सर्वहितकारी सेवाश्रम के अध्यक्ष विनोद तिवारी ने जिलाधिकारी कुशीनगर को ‘ व्हेन चिल्ड्रेन हैव चिल्ड्रेन ‘ पुस्तक भेंट की।

किताब के लेखक बाल अधिकार कार्यकर्ता और महिलाओं एवं बच्चों की सुरक्षा की लड़ाई लड़ने वाले सुप्रीम कोर्ट के प्रखर अधिवक्ता भुवन ऋभु हैं जो महिलाओं एवं बच्चों के लिए काम करने वाले गैर सरकारी संगठन के सलाहकार भी हैं।

किताब के लोकार्पण समारोह में मुख्य अतिथि सावित्री राय ने कहा कि बाल विवाह की चुनौती का सामना करने के रास्ते में उल्लेखनीय प्रगति हुई है लेकिन बहुत कुछ बाकी है क्योंकि देश अभी उस टिपिंग प्वाइंट यानी उस बिंदु पर नहीं पहुंच पाया है जहां छोटे बदलावों और घटनाओं की श्रृंखला इतनी बड़ी हो जाती है जो एक बड़ा और आमूल परिवर्तन कर सकें। भारत में बाल विवाह की मौजूदा दर 23.3 प्रतिशत है और यूनीसेफ का अनुमान है कि अगर पिछले दस साल से हुई प्रगति जारी रही तो 2050 तक जाकर भारत में बाल विवाह की दर घटकर छह प्रतिशत पर आ पाएगी। यह एक परेशान करने वाला आंकड़ा है और इसका मतलब है कि 2023 से लेकर 2050 के बीच सात पीढ़ियों तक बाल विवाह का दंश बच्चों से उनका बचपन छीनता रहेगा।

‘ व्हेन चिल्ड्रेन हैव चिल्ड्रेन’ सुझाती है कि 2030 तक राष्ट्रीय बाल विवाह दर को 5.5 प्रतिशत तक लाना संभव है।  ये संख्या वो देहरी है जहां से बाल विवाह का चलन अपने आप घटने लगेगा और लक्षित हस्तक्षेपों पर निर्भरता भी कम होने लगेगी।

सर्वहितकारी सेवाश्रम के अध्यक्ष विनोद तिवारी ने बाल विवाह के खिलाफ लड़ाई में ‘व्हेन चिल्ड्रेन हैव चिल्ड्रेन’ को एक सामयिक और अहम हस्तक्षेप बताते हुए कहा, “नागरिक समाज और सरकार, दोनों ही बाल विवाह मुक्त भारत के लक्ष्य को हासिल करने के लिए पूरे समर्पण से काम कर रहे हैं लेकिन हमारे तमाम प्रयासों के बावजूद अब भी बड़ी तादाद में इस तरह की घटनाएं हो रही हैं और इस अपराध से मुकाबले के लिए जबतक हमारे पास एक समन्वित योजना नहीं होगी, तब तक बाल विवाह के खिलाफ टिपिंग प्वाइंट के बिंदु तक पहुंचना एक मुश्किल काम होगा। यह किताब 2030 तक भारत को बाल विवाह मुक्त बनाने का एक रणनीतिक खाका पेश करती है। यह किताब हमें प्रेरित करने के साथ उम्मीद बंधाती है कि बाल विवाह मुक्त भारत बनाने का हमारा लक्ष्य सिर्फ सपना ही नहीं रहेगा, यह साकार होकर रहेगा।”

उन्होंने कहा कि किताब इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए एक योजना की रूपरेखा भी पेश करती है। यह ‘पिकेट’ रणनीति के माध्यम से सरकार, समुदायों, गैरसरकारी संगठनों और बाल विवाह के लिहाज से संवेदनशील बच्चियों से नीतियों, निवेश, संम्मिलन, ज्ञान-निर्माण और एक पारिस्थिति की जहां बाल विवाह फल-फूल नहीं पाए और बाल विवाह से लड़ाई के लिए निरोधक और निगरानी तकनीकों की मांग पर एक साथ काम करने का आह्वान करती है।

इस मौके पर कार्यक्रम समन्यक विजय प्रताप ने बताया कि देश के 288 जिलों में कार्यरत 160 संगठनों के साथ मिलकर स्थानीय और जमीनी स्तर पर बाल विवाह के खात्मे के लिए काम किया जा रहा है। ये सभी संगठन 16 अक्तूबर 2023 को बाल विवाह मुक्त भारत दिवस की तैयारियों में जुटे हैं। इस दिन देश के हजारों गांवों में बाल विवाह के खिलाफ जागरूकता कार्यक्रमों, नुक्कड़ नाटकों, बाल विवाह के खिलाफ प्रतिज्ञाओं, कार्यशालाओं, मशाल जुलूस और तमाम अन्य गतिविधियों के माध्यम से संदेश दिया जाएगा कि बाल विवाह हर हाल में खत्म होना चाहिए।।

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